Last modified on 24 जून 2010, at 17:35

वक़्त कर दे न पाएमाल मुझे / अखिलेश तिवारी

वक़्त कर दे न पाएमाल मुझे
अब किसी शक्ल में तो ढाल मुझे

अक़्लवालों में है गुज़र मेरा
मेरी दीवानगी संभाल मुझे

मैं ज़मीं भूलता नहीं हरगिज़
तू बड़े शौक से उछाल मुझे

तजर्बे थे जुदा-जुदा अपने
तुमको दाना दिखा था, जाल मुझे

और कब तक रहूँ मुअत्तल-सा
कर दे माज़ी मेरे बहाल मुझे