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वक्त / पवन चौहान

वह आया
और चला भी गया
मैंने उससे कहा भी
दो घड़ी मेरा इंतजार तो कर
मुझे कुछ कार्य
कुछ सपने, कुछ यादें
समेटने बाकी हैं अभी
वह मेरी बात पर मुस्कुराया
और बिना रुके कह गया
भविश्य मेरे इंतजार में खड़ा है
और मुझे अभी
बहुत से कार्यों, सपनों, उम्मीदों को
जन्म देना है बाकी।