Last modified on 10 जून 2016, at 12:27

वजूद / आरसी चौहान

कितना ही
कितना ही खारिज करो
साहित्य विशेषज्ञों

लेकिन
याद करेंगे लोग मुझे
अरावली पहाड़-सा
घिसा हुआ।