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वर्जित बाग / दीपा मिश्रा

इस वर्जित बाग से
मैंने भी फूल चुने हैं
तुमको भी दी कुछ
हिफाज़त से रखना
अगर मांगू तो दे देना
अगर मैं नहीं रही
तो मेरी समाधि पर चढ़ा देना ताकि वे मिट्टी में मिल जाएं
वहां एक चंपा की बेल उगेगी
उसकी डाल पर बहुत सारे
फूल खिलेंगे
पर वे अदन के फूल होंगे
तोड़ लेना उन फूलों को तुम
बांट देना फिर उन्हें
कुछ मेरे जैसे लोगों में
जो वर्जित बाग में जाना चाहते हैं शायद उनके रूप में
तुम्हें मैं दिख जाऊं