वह बात
पसन्द नहीं थी जो मुझे
चेहरे में तुम्हारे
जब भी तुम हँसतीं
या गुमसुम होतीं
लेकिन जो मैं ने
कभी बतलायी नहीं तुम को
वही बात
अब सब से अधिक सालती है
जब मैं सोचता हूँ
बिना मेरे तुम
गुमसुम नहीं भी हो गर
तो कैसे हँस रही होंगी !
कुछ तो जरूर ही
नापसन्द होगा तुम को भी
चेहरे में मेरे ?
(1991)