वह रोते हुए लोगों को हँसा देता है
वह मासूम सा हरपल ही दिखा करता है
कोई नश्तर की तरह जख़्म से भर देता है
वह मरहम सा हर घाव सुखा देता है
कोई अकड़ता है और उबलता है
वह पर्वत को भी चुपचाप झुका देता है
कोई दरिया की तरह तेज़ बहा करता है
वह जूझते नाविक को दुआ देता है
वह दिल से लगाता है मेरी यादों को
कोई मिलता है बहुत बार,भुला देता है
कोई सुलाने की कोशिश में लगा रहता है
वह हर बार मिलते ही जगा देता है