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वार्ता:कमलेश भट्ट 'कमल'

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कविता कोश सुकून के .सागर जैसा है .....इसमेँ छिपे काव्य मोती मन का तमस हरने वाला प्रकाश बिखेरा करते हैँ ...इसमेँ सहेजी गयी कविताएँ.. समस्याओँ के हल सुझाती हैँ,समाज को दर्पण दिखाती हैँ , रास्ता दिखाती हैँ ...अद्भुत कोश ...कविता कोश ।।