नमस्कार, मैने इस कविता, बल्कि किताब जो १९०९ में छपी थी को यहाँ डालने की कोशिश की है । यह इक़बाल की रचना है जो बहुत चर्चित रही थी । इक़बाल ने इसके ४ साल बाद जवाब-ए-शिकवा भी लिखी थी जो कविता कोश पर अबतक नहीं है । इस कविता को मैने यूट्यूब (YouTube) पर सुना और फ़िर उर्दू अक्षरों में पढ़ा । दोनो साइटों की पहली लिंक यहाँ दी जा रही है:
http://www.youtube.com/watch?v=QWTlR_91UaM
http://www.bizbrowse.com/UrduDiegest/UrduPoetry/Iqbal/Iqbal/Shikwa/shikwa1/0001.htm
इन दोनों के मिश्रण से मैने सही शब्दों को लिखने की कोशिश की है । साथ ही इसमें लिखी फ़ारसी के दो दोहों को अनुवाद करने का प्रयास किया है पर दोनों ही पूर्णरूपेण नहीं हो सके हैं । अगर आपको उर्दू पढ़ते आती हो तो कृपया इसको ठीक कर दें । समय की कमी की वजह से मैं शायद इस काम को यहीं छोड़ दूँ । और यू ट्यूब के वीडियो में दिया अंग्रेज़ी अनुवाद थोड़ा असूक्ष्म और अनुपयुक्त लगा इसलिए मैं अनुरोध करूंगा कि सटीक और उपयोगी अनुवाद ही पाठकों के सामने पेश करें - अंग्रेजी का हिन्दी अनुवाद करने से बचें। Amitprabhakar 17:22, 8 जून 2011 (UTC)
भाई अमित जी! मुझे खेद है कि मुझे उर्दू या फ़ारसी पढ़नी नहीं आती। नहीं तो मैं इस काम को कर देता। आपके पास जब समय होगा तब आप इस काम को आगे बढ़ाइयेगा। तब तक ’शिकवा’ ऐसी ही सुरक्षित रहेगी। हाँ, बहुत से शब्दों के शब्दार्थ मैं और जोड़ दूँगा। ’जवाब-ए-शिकवा’ को भी आप ही जोड़ेंगे। मेरे लिए यह काम संभव नहीं होगा। शायद हमारे कोई और सहयोगी इस काम को कर पाएँ। कविता कोश में ’शिकवा’ जोड़ने के लिए हम आपके आभारी हैं। शुभकामनाओं के साथ सादर --अनिल जनविजय 06:07, 9 जून 2011 (UTC)अनिल जनविजय