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विनाश-लीला / महेन्द्र भटनागर

(उद्जन-बम विस्फोट पर)

डॉलर-मद से मतवाले मानव के
हाथों में उद्जन-बम है —

रे नयी व्यवस्था के निर्माता
सावधान !
रे जनयुग के आकांक्षी
सावधान !
समता, शान्ति, न्याय-प्रिय मानव
सावधान !

यह मानवता का रक्षक कहलाने वाला
अभी-अभी उद्जन-बम से
बिकनी टापू पर खेल चुका है,
जिसका गरलाक्त धुआँ
सम्पूर्ण प्रशान्त-महासागर में फैल चुका है !

यह वही हिमायती प्रजातन्त्र का
जिसने नागासाकी, हिरोशिमा पर
अणु-बम बरसाये थे,
जिसने जापानी-इन्सानों पर चढ़
फूहड़ मृत्यु-गीत गाये थे,
मानवता के उर्वर खेतों पर
जिसने कोढ़ उगाया था,
जिसने दिशा-दिशा में
अग्नि-कुहर बरसाया था !

वही आज फिर
उद्जन बम को तोल रहा है !
फूहड़ मृत्यु गीत गाने
मुख खोल रहा है !
जिसकी प्रारम्भिक गति से ही
ईथर में मानव-ग्रह डोल रहा है !

रे जीवन के शिल्पी
सावधान,
सुख-स्वप्नों के दर्शी
सावधान,
मुसकानों के प्रेमी
सावधान !