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विवशता / गोबिन्द प्रसाद


पत्ता हिलता है
तो मेरी नींद में
जाग पड़ती हैं हज़ारों चिड़ियाँ
चौंक कर
पखों को समेटे
फिर सिमटकर
सो जाती हैं मेरे सपनों में