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07:50, 9 दिसम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अरुण कुमार नागपाल
|संग्रह=विश्वास का रबाब / अरुण कुमार नागपाल
}}
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<poem>
क्यारियों को पानी देते बाबू जी
चूल्हा चौका सभांलती माँ
शर्ट का बटन टांकती पत्नी
टीचर के लिए लाल गुलाब ले जा रही
नन्ही सी लड़की
कॉलबेल बजाता पोस्टमैन
कुछ लोग हैं हमारे इर्द-गिर्द
जो करते रह्ते हैं हमारे लिए
छोटे-छोटे काम
मुहँ से बिना कुछ कहे
अपने छोटे-छोटे कामों से
वे लगे हैं हमारे जीवन को सुंदर बनाने में
छोटी-छोटी खुशियाँ बाँटने में
हालाँकि हम भूल चुके हैं
आभार प्रकट करना
न जाने हम क्यों ले लेते हैं उन्हें इतनी सहज़ता से?</poem>