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16:31, 12 दिसम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वसीम बरेलवी
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
कितना दुश्वार है दुनिया ये हुनर आना भी
तुझी से फ़ासला रखना तुझे अपनाना भी
ऐसे रिश्ते का भरम रखना बहुत मुश्किल है
तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी
</poem>