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पेच रखते हो बहुत साज-ओ-दस्तार के बीच / फ़राज़
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03:21, 17 दिसम्बर 2010
बाग़बानों को अजब रंज से तकते हैं गुलाब
गुलफ़रोश आज बहुत जमा हैं गुलज़ार के बीच
क़ातिल इस शहर का जब बाँट रहा था मंसब
एक दरवेश भी देखा उसी दरबार के बीच
कज अदाओं की इनायत है कि हम से उश्शाक़
Bohra.sankalp
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