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अफ़्सोस है / अकबर इलाहाबादी
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13:25, 26 दिसम्बर 2010
बिलकुल नहीं छूटी है मगर छूट रही है
</poem>
अपनी यादें, अपनी बातें ले कर जाना भूल गया,
जाने वाला जल्दी में था, मिल कर जाना भूल गया,
मुड़, मुड़ कर देखा था उसने जाते हुए रास्ते में,
जैसे कहना था कुछ, जो वो कहना भूल गया l
Rawalkishore
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