गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अपनी, ख़ुशियाँ अपने सपने सब के सब बेकार हुए / कुमार अनिल
196 bytes added
,
09:34, 31 दिसम्बर 2010
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार अनिल
|संग्रह=और कब तक चुप रहें / कुमार अनिल
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>अपनी खुशियाँ अपने सपने सब के सब बेकार हुए
फूलों जैसे लोग भी जाने क्यों जलते अंगार हुए
Shrddha
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits