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दौलत पाय न कीजिए / गिरिधर
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[[Category:कुण्डलियाँ]]
<poeM>दौलत पाय न कीजिए,
सपने में
सपनेहु
अभिमान।
चंचल जल दिन चारिको, ठाउं न रहत निदान॥
Vaibhav Kumar Nain
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