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दौलत पाय न कीजिए / गिरिधर

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[[Category:कुण्डलियाँ]]
<poeM>दौलत पाय न कीजिए, सपने में सपनेहु अभिमान।
चंचल जल दिन चारिको, ठाउं न रहत निदान॥