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तुमने हँस के जो देखा जरा सा मुझे / कुमार अनिल
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14:51, 4 जनवरी 2011
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<Poem>
तुमने हँस के जो देखा
जरा
ज़रा-
सा मुझे,
हर तरफ़ चाँदनी की फ़सल हो गई ।
एक पल के लिए भी जो रूठ गए
सुख के-दुख के यूँ शेर मिले,
ज़िन्दगी एक मुकम्मल ग़ज़ल हो गई ।
</poem>
अनिल जनविजय
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