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18:49, 5 जनवरी 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
| रचनाकार=सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
| संग्रह =
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<poem>
मैं हूँ तेरी यादें हैं सागर का किनारा है
आ मेरे गले लग जा पानी ने पुकारा है
है दूर बहुत मुझसे तू पास नहीं लेकिन
कुछ आस मिलन की है कुछ आस नहीं लेकिन
फीका तेरे बिन जानम हर एक नज़ारा है
मैं हूँ तेरी यादें हैं सागर का किनारा है......
सागर में उठी मौजें आ तुझको बुलाती हैं
पानी में उठी लहरें मन मेरा जलाती हैं
जीते जी मुझे तेरी तन्हाई ने मारा है
मैं हूँ तेरी यादें हैं सागर का किनारा है......
सोचा है मोहब्बत की अब हद से गुज़र जाऊँ
पानी का कहा मानू सागर में उतर जाऊँ
मेरे लिए अब जीवन शोला है शरारा है
मैं हूँ तेरी यादें हैं सागर का किनारा है
आ मेरे गले लग जा पानी ने पुकारा है
</poem>