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आर्तनाद / अजय कृष्ण
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15:28, 6 जनवरी 2011
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<poem>
छातियों में
धॅंस
धँस
-धँस कर
फट रहे हैं प्रक्षेपास्त्र
माताओं के गर्भ में नित्य
अनिल जनविजय
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