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रचनाकार=राम प्रकाश 'बेखुद'
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बारिश में उफनाई नदी के जैसी यौवन की तस्वीर
कौन उसे पहचान सकेगा देख के बचपन की तस्वीर

यूं ही नहीं पी लेता कोई ज़हरे मुहब्बत दुनिया में
मीरा ने विष के प्याले में देखी मोहन की तस्वीर

हमको अपना फ़र्ज़ हमेशा याद दिलाती रहती है
काँधे पर कांवर रखे वो घर में सरवन की तस्वीर

सोने की चिड़िया कहता है इक पिंजरे के पंछी को
दिखला के नादाँ मुअर्रिख जाने किस सन की तस्वीर

झूट की जो ये हार नहीं है तो फिर आखिर और है क्या
घर में अपने नहीं लगाता कोई रावन की तस्वीर

झूट नहीं कहते हैं मुझको दीवाना कहने वाले
दिल से लगाए बैठा हूँ मैं जान के दुश्मन की तस्वीर

आईना किरदार था अपना मेल नहीं था जब दिल में
हिरसो हवस की धूल ने कर दी धुंधली जीवन की तस्वीर

भीगा बदन और धानी चूनर बिखरी जुल्फें अंगडाई
कोई मुसव्विर खींच रहा हो जैसे सावन की तस्वीर

मैं ये नहीं कहता हूँ 'बेखुद' कहने वाले कहते हैं
मेरी ग़ज़लों में पोशीदा है मेरे फन की तस्वीर </poem>