गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
लाठी में हैं गुण बहुत / गिरिधर
229 bytes added
,
12:00, 9 जनवरी 2011
नया पृष्ठ: लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग । गहरी नाली खाई जहाँ, तहां बचा…
लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग ।
गहरी नाली खाई जहाँ, तहां बचावे अंग ।
तहां बचावे अंग,
Vaibhav Kumar Nain
44
edits