Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=सतीश शुक्ला 'रक़ीब' | संग्रह = }} {{KKCatGeet}} <poem> आज़ादी क…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
| रचनाकार=सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
| संग्रह =
}}
{{KKCatGeet}}
<poem>

आज़ादी की सालगिरह पर, तुम सबका अभिनन्दन है
जीवन पथ पर बढ़ो हमेशा, यही हमारा वंदन है

मत भूलो गांधी, नेहरू को, याद सदा उनको रखना
लड़ें लड़ाई आज़ादी की, भगतसिंह का था सपना

भेद भाव बाकी न रहा जब, आज़ादी के मतवालों में
रानी झांसी ज्वाला बनकर कूद पड़ी मैदानों में

तनिक वेदना याद करो आज़ाद, लाजपत, सुखदेवों की
लाठी, गोली, फांसी खाकर की है सेवा जन मानस की

अस्त्र-शस्त्र से लड़ें सभी पर हिम्मत गांधी जी की देखो
सत्य अहिंसा के बूते पर दिला गए आज़ादी हमको

बुरे नहीं अंगरेज़ कभी थे, बसी बुराई मन उनके
इक आँगन बांटा वर्गों में हम भी कितने नादाँ थे

तमिलनाडु से काश्मीर तक भारतवर्ष हमारा है
मातृभूमि का कण-कण हमको जान से बढ़कर प्यारा है

(प्रथम प्रकाशित रचना-राष्ट्रीय सहारा, लखनऊ, शनिवार 15 अगस्त 1992)
</poem>
384
edits