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किताबें झाँकती हैं / गुलज़ार
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10:02, 10 जनवरी 2011
मगर वो जो उन क़िताबों में मिला करते थे
सूखे फूल और महके हुए रूक्के
क़िताबें माँगने, गिरने, उठाने के बहाने जो रिश्ते
बना करते
बनते
थे
अब उनका क्या होगा...!!
</Poem>
ABHIE
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