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ज़हर देता है कोई, कोई दवा देता है / नक़्श लायलपुरी
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16:36, 11 जनवरी 2011
प्यास इतनी है मेरी रूह की गहराई में
अश्क गिरता है तो दामन
दो
को
जला देता है
किसने माज़ी के दरीचों से पुकारा है मुझे
SATISH SHUKLA
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