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किसान / अभय मौर्य
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05:42, 14 जनवरी 2011
कि दमक रहा है भारत, ज़ुल्म हैं इसमें कम ।
हो गया
हूं
हूँ
मैं सयाना, अक्सर सोचता हूँ,
सिहर उठता हूँ, बाल अपने नोचता हूँ ।
फिर झटसे उठा सिर अपना, तानता हूं सीना,
अनिल जनविजय
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