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|संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष
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प्रेम से हम हँसेंगे
 
लड़ाई ख़त्म नहीं हुई
 
फिर चाहेंगे हम पछताना
 
कि जो कुछ हुआ इसी लायक था
 
हँसने, लड़ने, पछताने में वही चीज़ होगी
 
लायक होना सीख रहे थे हम
 
हँसते, लड़ते, पछताते किसी
 
प्रेम में
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