<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
<td rowspan=2> <font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
<td> '''शीर्षक : नये साल की पहली सुबहशीत लहर<br> '''रचनाकार:''' [[नीलाभविजेन्द्र]]</td>
</tr>
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<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
नये साल की पहली सुबह तुम्हें क्या दूं मैं ?शीत लहर चलती है पूरे उत्तर भारत मेंएक फूल अमन के लिए,एक बन्दूक आज़ादी के लिए, एक किताब संगठिठुर रहे जन-साथ के लिए ?- जिनके वसन नहीं हैं तन परतुम्हारी आंखों के लिए नयी चमक ?तुम्हारे ख़ून के लिए नयी गरमी, तुम्हरे प्रेम के लिए नयी नरमी,दिल के लिए नयी आशा, संघर्ष के लिए नयी भाषा ?नये वर्ष बंदी हैं अपने कालचक्र में दूर हों ग़म,फिर भी वे तन करनये वर्ष में मिटें सितमखड़े रहे अपने ही बल पर,नये वर्ष विचलित आरत में दुख हों कम,सिर झुकें नहीं, बांहें थकें नहीं,टूटें सभी बेड़ियां, मिले नया दम ।
होते हैं, रहते सावधान जीवन जीना है
उनको अपने से ही, ऐसी व्याकुलता जगती
है मन में, कहाँ खड़े हों पल भर धरती तपती
है, जाड़े से भी बहतेरे मरते हैं, पीना है
अमृत जल-- ऐसा सौभाग्य कहाँ मिलता है
भद्रलोक को सुविधाएँ हैं सारी, कहाँ सताता
पाला उनको, दाता उनका है, शास्त्र बताता
है-- खरपतवारों के मध्य फूल कहाँ खिलता है ।
फिर हुई घोषणा गलन अभी और बढ़ेगी
हड्डी-पसली टूटेगी निर्मम खाल कढ़ेगी ।
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