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11:51, 20 जनवरी 2011 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=चाँद हादियाबादी
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<poem>
वही लापता है जिसे था पता
बताता भी कोई नहीं रास्ता
नहीं अपने घर का मुझे कुछ पता
अगर तुझको मालूम है तो बता
बदन पे न था मेरे अच्छा लिबास
मुझे शह्र में कोई क्यों पूछता
सुनाते हो क्यों मुझको इंजील तुम
मुझे इब्ने-मरियम का दे दो पता
हैं मजबूर हालात से "चाँद" सब
न तेरी ख़ता है न मेरी ख़ता
</poem>