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11:05, 22 जनवरी 2011 <poem>
आखिरी बात तो अभी कही जानी है
यह जो कुछ कहा है
आखिरी बात कहने के लिए ही कहा है।
आखिरी बात तो दोस्त
बरसात की तरह कही जाएगी
बौछारों में
और जो परनाले चलेंगे
पिछली तमाम बातें उनमें बह जाएंगी।
बातों -बातों में बातों की
बेबुनियाद इमारतें ढह जाएंगी।
फिर उसके बाद कोई बात कहने की
ज़रूरत नहीं रह जाएगी।
आखिरी बात कह डालने के लिए ही
जिए जा रहा हूँ
जीता रहूँगा
आखिरी बात कहे जाने तक।
1999
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