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{{KKRachna|रचनाकार: [[=मंगलेश डबराल]][[Category:कविताएँ]][[Category:|संग्रह=हम जो देखते हैं / मंगलेश डबराल]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~}}
जब भी तस्वीर खिंचवाने का मौक़ा आता है
माँ घर में खोई हुई किसी चीज़ को ढूँढ ढूंढ रही होती है
या लकड़ी घास और पानी लेने गई होती है