|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
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वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छांह छाँह भी, मांग माँग मत, मांग माँग मत, मांग माँग मत, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथअग्निपथ।
तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथअग्निपथ।
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथअग्निपथ।