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अग्नि शय्या पर सो रहे हैं लोग / एहतराम इस्लाम
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18:51, 4 फ़रवरी 2011
स्वर्ग से अप्सराएँ उतारी हैं
स्वप्न भी खूब देखते हैं लोग
खुद इन्हें भी खबर नहीं इसकी
किन दिशाओं में चल पड़े हैं लोग
मन को मन के निकट नहीं लाते
देह पर देह थोपते हैं लोग
कैसी बस्ती है 'एहतराम' यहाँ
मर रहे हीं न जी रहे हैं लोग
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वीनस केशरी
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