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{{KKRachna|रचनाकार: [[=मंगलेश डबराल]][[Category:कविताएँ]][[Category:|संग्रह=हम जो देखते हैं / मंगलेश डबराल]]}}
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उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझता
जो लँगड़े लंगड़े हैं वे कहीं नहीं पहुँच पाते
जो बहरे हैं वे जीवन की आहट नहीं सुन पाते
यह ऎसा समय है
जब कोई हो जा सकता है अंधा लँगड़ालंगड़ा
बहरा बेघर पागल ।