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सुदामा चरित / नरोत्तमदास / पृष्ठ 11
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10:22, 20 फ़रवरी 2011
कैं जुरतो नहिं कोदो सवाँ प्रभुए के परताप तै दाख न भावत ।।119।।
बहुरि
धन्य धन्य जदुवंश - मनि, दीनन पै अनुकूल।
धन्य सुदामा सहित तिय,
कहि
बरसहिं सुर फूल।।120।।
समाप्त
</poem>
Dr. ashok shukla
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