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उस पार न जाने क्या होगा / हरिवंशराय बच्चन
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13:06, 21 फ़रवरी 2011
यह चाँद उदित होकर नभ में <br>
कुछ ताप मिटाता जीवन का, <br>
लहरालहरा
लहरा लहरा
यह शाखाएँ <br>
कुछ शोक भुला देती मन का,<br>
कल मुर्झानेवाली कलियाँ <br>
आलोक चतुर्वेदी
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