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एक मुद्दत से हुए हैं वो हमारे यूँ तो / गौतम राजरिशी
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08:45, 27 फ़रवरी 2011
अब भी जपते हैं तेरा नाम किनारे यूँ तो
''{त्रैमासिक सरस्वती-सुमन, जनवरी-मार्च2010 / त्रैमासिक
अर्बाब्र
अर्बाबे
-क़लम, अक्टूबर-दिसम्बर 2010}''
</poem>
Gautam rajrishi
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