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वन्दना/ शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान
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08:09, 1 मार्च 2011
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वन्दना
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मंा! मुझे तुम लोक मंगल साधना का दान दो,
शब्द को संबल बनाकर नील नभ सा मान दो।
Dr. ashok shukla
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