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सियाहियों के बने हर्फ़ हर्फ़ धोते हैं / बशीर बद्र
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11:29, 3 मार्च 2011
ये लोग रात में काग़ज़ कहाँ भिगोते हैं
किसी की
शह
राह
में दहलीज़ पर दिया न रखो
किवाड़ सूखी हुई लकड़ियों के होते हैं
PAVAN AZAD
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