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रास की मुरली / रामधारी सिंह "दिनकर"
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09:16, 6 मार्च 2011
::::[३]
::रास की मुरली उठी पुकार।
उठ उस में कोमल हिल्लोल
मोहिनी मुरली का सुन नाद,
::छोड़ दौड़ो सब साज-सिंगार,
::रास की मुरली उठी पुकार।
अरी भोली मानिनि! इस रात
विनय-आदर का नहीं विधान,
चंद्र मौलेश्वर
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