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नया पृष्ठ: यहाँ अब शोर ही कोई न सरगोशी किसी की <br /> अगर कुछ है तो शायद हो यह ख़ाम…
यहाँ अब शोर ही कोई न सरगोशी किसी की <br />
अगर कुछ है तो शायद हो यह ख़ामोशी किसी की<br />

बिला - नागा उसे खून आदमी का चाहिए अब<br />
हमें खलने लगी है यह बलानोशी किसी की <br />

वो कब्रिस्तान का नक्शा ही रख देंगे बदलकर<br />
किसी की ताजपोशी है तो गुलपोशी किसी की<br />

गली में फिर वही परछाइयाँ लहरा रही हैं<br />
मेरी आहट से कब टूटी है बेहोशी किसी की<br />

यहाँ गिरते हैं हरदम टूट कर शाखों से पत्ते<br />
फिजा में गूंजती रहती है सरगोशी किसी की <br />
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