गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
रोज़-रोज़ / चंद्र रेखा ढडवाल
1 byte removed
,
01:57, 11 मार्च 2011
उसने बटोर लिया शब्द-शब्द
रख लिया सहेल कर अस्त्र-सा
उसी के विरुद्ध
जो
इस्तेमाल हुआ फिर रोज़-रोज़
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits