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03:57, 12 मार्च 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चंद्र रेखा ढडवाल
|संग्रह=
}}
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<poem>
तुम हारो नहीं
कमज़ोर न पड़ो
इसके लिए ज़रूरी है
कि दु:ख के
अवमानना के घृणा के
धनीभूत क्षणों में
तुम नितांत अकेले हो
याद रहे
</poem>