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03:21, 14 मार्च 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चंद्र रेखा ढडवाल
|संग्रह=
}}
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<poem>
ऐसा नहीं है
कि उस औरत ने
हिम्मत नहीं दिखाई
बहुत-बहुत सह कर
बहुत-बहुत दिनों के अंतराल पर
कभी-कभार
अलग-अलग
और टुकड़ा-टुकड़ा
उसकी हिम्मतें पर
मर-खप गई
</poem>