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गुर्दा / कृष्ण कुमार यादव

14 bytes added, 15:47, 15 मार्च 2011
जिसे दूसरा भगवान माना जाता है
और जिसने एक अमीर
की जान बचाने के लियेलिएएक गरीब ग़रीब की जिन्दगीज़िन्दगीदाँव पर लगा दी।दी । न जाने रोज रोज़ कितनी ऐसी घटनायेंघटनाएँ
सुनने को मिलती हैं
कभी पैसे के अभाव में
किसी गरीब ग़रीब का दम तोड़ देना
कभी चंद पैसों की आड़ में
नवजात शिशु को बेच देना
और कभी कानूनी प्रक्रियाओं में
भटकाये जाते आम जन
 पर फिर भी गरीब ग़रीब आदमीमानता है उन्हें दूसरा भगवान।भगवान ।</poem>
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