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ईद-1 / नज़ीर अकबराबादी
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23:00, 20 मार्च 2011
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<poem>
शाद था जब दिल वह था और
हि
ही
ज़माना ईद का ।
अब तो यक्साँ है हमें आना न जाना ईद का ।।
अनिल जनविजय
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