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अस्वीकरण
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तेरी प्यास अमोल / शतदल
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,
09:25, 25 मार्च 2011
जैसे पात हरे पुरइन के
प्यास निगोड़ी जादूगरनी
जल से बुझे न
जाe
जाए
अगिन से ।
जल में आग आग में पानी
अनिल जनविजय
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