|संग्रह=यह कैसा मजाक है / मदन डागा
}}
{{KKAnthologyVarsha}}{{KKCatKavita}}<poem>
वर्षा के मिस
साफ़ करने
सड़क की स्लेट ।
छींटे जब डाले
मौसम ने ।
गायब हुए
स्लेट से--
अ से अमीर
ध से धनी
म से महाजन
लेकिन
ग से गरीब
म से मज़दूर
अभी भी अंकित हैं
वर्षा से
आतंकित हैं
</poem>