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02:03, 5 अप्रैल 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
|संग्रह=कल सुबह होने के पहले / शलभ श्रीराम सिंह
}}
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<poem>
दलदल मात्र-
रह गई झील के तट पर
कोई
नृशंस आदिम
आग जला कर
बैठा है!
मुँह लगा कर
निचोड़ रही है
उसे एक कमसिन लड़की !
(1965)
</poem>