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15:08, 5 अप्रैल 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विनय प्रजापति 'नज़र'
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
ख़ुदाया<ref>ऐ ख़ुदा</ref> कभी करम मुझ पर भी
सुम्बुल<ref>प्रेयसी</ref> की थोड़ी मेहर इधर भी
प्यार क्या है नहीं जानता,
मगर सिखा मुझको ये हुनर भी
तेरे ख़ाब सजाये आँखों में
ख़ाब है चाँद है सहर<ref>सुबह</ref> भी
इश्क़ की आग जो इस दिल में है
एक अक्स<ref>प्रतिबिम्ब</ref> है इसका उधर भी
मोहब्बत का दावा किया जो
मैं करूँगा रोज़े-महशर<ref>मृत्यु के दिन, प्रलय के दिन</ref> भी
जान भी ले लो अगर चाहिए
मगर लेना मेरी कुछ ख़बर भी
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