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मखमल के पर्दों के बाहर, फूलों के उस पार,<br>
ज्यों का त्यों खड़ा हैखड़ा, आज भी मरघट -सा संसार ।<br><br>
वह संसार जहाँ तक पहुँची अब तक नहीं किरण है <br>